रविवार, 8 मई 2011

राहु तर्पण

राहु के लिये पहले ही बताया जा चुका है कि वह रूह से सम्बन्ध रखता है। अलग अलग भावों में जाकर अपने अपने स्थान का प्रभाव अपने अपने कारणों से प्रस्तुत करता है। हमेशा राहु खराब फ़ल ही दे यह कोई बात नही है राहु उत्तम से उत्तम फ़ल देने का कारक भी है। राहु का सीधा सम्बन्ध कैमिकल के रूप में है,पानी में मिलने पर वह दवाई के रूप में जान भी बचा सकता है और जहर बनकर मार भी सकता है,हवा में मिलकर वह आक्सीजन के रूप में प्राण भी बचा सकता है और कार्बन आक्साइड के रूप में जान ले भी सकता है,रसोई में गैस के रूप में भोजन भी पका कर खिलाने में सहायता करता है,तो बन्द कमरे में सिगडी रखने से या सुलगते कोयले रखने से मोनोक्साइड बनकर मृत्यु देने के लिये भी माना जा सकता है। ग्रहों में यह चन्द्र के साथ मिलावट करता है तो मानसिक रूप से कष्ट तो देगा ही और पहिचान के रूप में माता को इतनी चिन्ता देगा कि वह हमेशा किसी न किसी बात पर चिन्ता करती ही नजर आयेंगी,यह चिन्ता जातक को विरासत माताके खून से ही मिल जाती है और राहु अपनी गति से अपने अपने भाव के अनुसार दिन रात चिन्ता देने में कमी नही करता है। सूर्य के साथ राहु के आने में जातक के अन्दर नाम को प्रसारित करने की चिन्ता लगी रहती है पिता और सन्तान की उसे कतई फ़िक्र नही होती है,मंगल के साथ राहु के आने से खून के अन्दर उबाल ही बना रहता है और वह अगर उच्च के मंगल के साथ है तो हांकने में कमी नही होती है कार्य के लिये बहुत ही ऊंची छलांग लगाने के चक्कर मे वह अपनी हकीकत की जिन्दगी को भी भूल जाता है उच्च में हाई ब्लड प्रेसर और नीच में लो ब्लड प्रेसर की बीमारी भी देता है,बुध के साथ आने से वह गणना करने का मास्टर माना जाता है किसी भी बात को वह मीजान के रूप में अपनी शक्ति को प्रदर्शन करने के लिये भी अच्छी योग्यता को दिखाता है,लेकिन बुरे स्थान में जाने पर वह झूठ बोलने में भी पीछे नही रहता है,गुरु के साथ मिलने पर कब पता नही उसका दिमाग घूमे और वह या तो रक्षा करने वाले कारकों के अन्दर अपना नाम कमाले अथवा वह अपने गलत कामो के द्वारा जगत की हानि करने पर ही उतारू हो जाये,शुक्र के साथ मिलने पर वह कामुकता का भूत इतना भर दे कि उसे सिवाय स्त्री के और कुछ दिखाई ही नही दे,आदि बाते देखी जा सकती है।

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