सोमवार, 21 मार्च 2011

राहु तीसरा करे दिखावा

तीसरा राहु दिखावे के लिये माना जाता है,और यह दिखावा चाहे बोलने के लिये हो या अपने को प्रदर्शित करने के लिये हो जितना राहु बलवान होगा उतना ही दिखावा करने के लिये अपना बल देगा.राहु को आसमानी ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिये भी माना जाता है। राहु का राशि के अनुसार और राशि के स्वभाव के अनुसार प्रदर्शन के लिये तथा राहु पर अन्य ग्रहों के प्रभाव के द्वारा भी असरकारक माना जाता है। तीसरे भाव मे अगर मेष राशि है तो जातक के अन्दर अपने द्वारा लोगों से सम्पर्क बढाने के लिये उत्तम माना जाता है वह अगर किसी प्रकार की वस्तु को बेचने के लिये अपने प्रयासों को करता है तो वह लगातार सम्पर्क बढाता चला जायेगा और मल्टी मारकेटिंग के द्वारा अपने सम्पर्कों को बढाकर लगातार अपनी प्रोग्रेस को करता चला जायेगा। उसकी शरीर की बनावट और शरीर से किये जाने वाले कार्यों के अन्दर अपनी पहिचान को बनाने से भी कोई नही रोक सकता है,अक्सर इस राहु के द्वारा व्यक्ति के अन्दर एक्टिंग करने और अपने को प्रदर्शित करने की कला का भी खूब ज्ञान होगा। इस प्रकार के जातकों को अगर कस्टमर बनाने के लिये नियुक्त कर दिया जाये तो वह अपनी कला से लगातार कस्टमर बनाता चला जायेगा। यह राहु खुद के द्वारा धन को इकट्ठा करने के लिये भी माना जाता है,जातक अपने प्रदर्शन के द्वारा और जोखिम आदि के कार्यों को करने के बाद धन के अम्बार को लगाना शुरु कर देगा। राहु स्टोर का कारक है इस राशि का राहु स्टोर सम्बन्धी कामो को बहुत अच्छी तरह से कर सकता है,नाच गाने और फ़ोटो आदि के कार्यों में मन को लगाने के लिये भी माना जाता है,इस राशि का राहु तीसरे भाव मे है तो जातक के अन्दर फ़ीजियोथेरेपिस्ट के काम भी आसानी से कर सकता है। अगर इस भाव की राशि वाले व्यक्ति को रेसेप्सनिस्ट की जगह पर नियुक्त कर दिया जाये तो वह पूरी आफ़िस या सन्स्थान के कार्यों लोगों और आने जाने वालों को बडी अच्छी तरह से सम्भाल सकता है।


रविवार, 20 मार्च 2011

दूसरा राहु कुटुम्ब और माया

जातक की माता के बाद जातक का पाला अपने कुटुम्ब से पडता है,जातक को अमुक खानदान अमुक परिवार अमुक गरीब अमुक अमीर का पुत्र समझ कर लोग उसके लिये अपनी अपनी बातें करते है। कुन्डली के अनुसार राहु जितना बलवान होता है उतना ही बल जातक को राहु देता है,राहु अगर खराब राशि में है तो खराब तरह की और अच्छी राशि में है तो अच्छी तरह की प्रसिद्धि देने के लिये अपना फ़ल प्रदान करता है। अगर दूसरे भाव में वृश्चिक राशि है और राहु पर नीच का मंगल अपना असर दे रहा है तो जातक को कसाई के काम करने जरूरी हो जायेंगे उसके कुटुम्ब को कसाई की श्रेणी में लाना कोई अतिश्योक्ति नही होगी। जरूरी नही है कि वह किसी को कसाई की तरह से ही काटे,वह अपने अनुसार धन से कपट से डकैती से किसी कार्य को जटिल बनाकर काटने से बाज नही आयेगा।
वह या तो माया का पर्दा सबकी आंखों पर डालकर अपने कामो को करेगा या फ़िर अपने कुटुम्ब का बल लेकर अपने कार्यों को करेगा। उसे संगठित होने की अभूतपूर्व क्षमता का कारण प्रस्तुत करना आता होगा। वह अपना कार्य अपनी आवश्यकता की पूर्ति अपने अनुसार ही माया या अन्य प्रकार के पारिवारिक बल लेकर कर ही लेगा। दूसरे राहु के लिये यह भी माना जाता है कि या तो जातक अपने धन और परिवार का बल लेकर चलेगा साथ ही राहु की तीसरी नजर चौथे भाव पर होने से वह अपने मन के अन्दर किसी के प्रति भी विश्वास लेकर नही चलेगा यानी सभी पर अपनी आशंका को व्यक्त करेगा उसे अपने दिमाग के अनुसार ही चलना आता होगा इसके बाद पन्चम द्रिष्टि छठे भाव मे होने से वह अपने अनुसार चोरी से छलकपट से और गुप्त नीति से अपने कार्य को पलक झपकते ही पूरा करेगा,सप्तम नजर अष्टम द्रिष्टि पर होने से उसके अन्दर जादुई शक्तियों का बोलबाला हो जायेगा वह अपने को तंत्र मंत्र या अजीब गरीब विद्याओं से पूर्ण कर लेगा अथवा वह अपने अनुसार अपने आसपास के माहौल में अपने जानकार लोगों में इतनी दहशत फ़ैला कर रखेगा कि लोग उसके नाम से ही कांपने लगेंगे,अथवा वह अपनी नीतियों को अपने माया वाले जाल से पूरा करने की हिम्मत रखने के लिये माना जायेगा। राहु की नवम नजर कार्य भाव पर होने से जातक कभी तो भूत की तरह से काम करता हुआ नजर आयेगा या फ़िर बिलकुल आलसी होकर एक कोने में पडा हुआ नजर आयेगा,वह जन्म लेने के बाद से ही अपने पिता के लिये एक अभिशाप बनकर आयेगा और पिता या तो आफ़तों में जूझ रहे होंगे या फ़िर जातक के बचपन में ही नकारा होकर पडे रह गये होंगे। दूसरा राहु कुटुम्ब की सहायतायें भी देने के लिये माना जाता है चाहे कुटुम्ब से जातक कितनी ही दुश्मनी पाल कर बैठ जाये लेकिन जैसे ही जातक पर कोई मुशीबत आयेगी वह राहु अपने अनुसार सभी को सहायता के लिये सामने लाकर खडा कर देगा।

शनिवार, 19 मार्च 2011

पहला राहु आंचल की छाया

हर मनुष्य के लिये राहु कितना फ़लदायी है यह अन्दाज तभी लगाया जा सकता है जब बच्चा अपनी माता की गोद में आराम से आंचल की छाया में माता के वातसल्य को प्राप्त कर रहा होता है। माता उसके बालों को सहलाती है,किसी प्रकार के कष्ट के समय उसे पुचकारती है और जब कोई कष्ट असहनीय होता है तो माता बच्चे के साथ अपनी आंसुओं की लडी को भी बहाती है। उसे अपनी भूख प्यास की तकलीफ़ नही होती है वह अपनी पीडा को भूल जाती है लेकिन अपने बच्चे के लिये कोई भी तकलीफ़ सहन करने के लिये तैयार होती है। बच्चे को भी किसी प्रकार की पीडा या भय के सताने पर उसे लाखों लोगों के होने पर भी केवल अपनी माता की छवि ही याद रहती है वह अपनी माता को अपनी अबोध चिल्लाहट से कातर स्वर में रोने से बुलाने में सक्षम होती है। माता भले ही कमजोर है माता भले ही उसे दुख से दूर नही कर सकती है लेकिन फ़िर भी माता पर बच्चे को पूरा भरोसा होता है। माता उसके लिये सर्दी में अपने आंचल के अलावा अपने सीने से लगाकर सोती है गर्मी के दिनो में माता उसे अपने आंचल की हवा से ठंडक देने की कोशिश करती है,बरसात के समय में अपने सीने में छुपाकर खुद को भिगाकर बच्चे को बरसात के पानी से बचाती है।
यह भाव बिना राहु के नही प्राप्त नही हो सकता है,राहु का कार्य  भावानुसार अपनी अपनी योजना से फ़ल देने के लिये माना जाता है।राहु को धुन मे मस्त रहने वाला भी मानते है,जब व्यक्ति को अपनी धुन लगती है तो उसे दुनियादारी से कोई मतलब नही होता है,वह अपने में ही मस्त रहता है। माता बच्चे के पालन पोषण में बच्चे के भविष्य के प्रति ही धुन लगाये रहती है और जब तक वह अपने को सम्भालने के लिये काबिल नही हो जाता है माता को उसके प्रति चिन्ता करना जरूरी होता है। बच्चा अगर स्कूल गया है तो माता को उसके स्कूल से घर न आजाने और उसके द्वारा अपनी कुशल क्षेम को सही नही बता देने तक वह बैचेन रहती है,कितनी ही बडी सुविधा बच्चे को क्यों न दे दी जाये,माता बच्चे को अपनी आंखो से नही देख ले और अपने मन से समझ नही ले तब तक उसे चैन नही आता है। जो लोग अपने बच्चे को होस्टल आदि में शुरु में ही शिक्षा आदि के लिये डाल देते है उनके घर में एक अजीब बेचैनी हमेशा बनी रहती है,अक्सर इसी प्रकार के परिवारों में क्लेश होता ही रहता है,पति के ऊपर पत्नी का हावी होना भी इसी तरह के कारणों में माना जाता है।

राहु को छुपी शक्ति के मामले में जाना जाता है,राहु अपने प्रभाव से जातक के जीवन में उन शक्तियों को भर देता है जिनकी कभी आशा नही की जा सकती है। अक्सर बच्चे के कष्ट के समय माता के अंग फ़डकने की बात भी कही जाती है,माता को बच्चे के कष्ट का आभास पहले ही हो जाता है या बच्चा कहीं दूर होता है और किसी कष्ट में होता है तो माता को बेचैनी हो जाती है। राहु सूर्य के साथ मिलकर पिता या पुत्र की औकात को असीमित विस्तार की तरफ़ बढाने के लिये माना जाता है,राहु के द्वारा चन्द्रमा का साथ होने पर माता को चिन्ता में जातक की प्रोग्रेस के लिये माना जाता है,राहु का मंगल के साथ मिलकर खून के अन्दर प्रेसर बनना माना जाता है,राहु का बुध के साथ मिलने से विस्तार का अन्त नही होता है राहु का गुरु के साथ मिलने से या तो ज्ञान की सीमा अनन्त हो जाती है या जातक को इतना नीचे गिरा देता है कि जातक की शक्ल को लोग नही देख सकते है,राहु का शुक्र के साथ मिलान होने से जातक के अन्दर इतनी कामुकता का उदय होना शुरु हो जाता है कि उसे सभी जवान और खूबशूरत दिखाई देने लगते है,शनि के साथ राहु मिलता है तो उन कार्यो को जातक के लिये देता है जिनसे साधारण आदमी अक्सर दूर रहने के लिये माना जाता है।