शुक्रवार, 27 मई 2011

राहु की करामात

राहु का असर बहुत ही असरकारक जब और हो जाता है जब राहु का स्थान सप्तम स्थान में हो जाता है। अगर वृश्चिक लगन की कुंडली हो तो जातक के लगन में केतु होगा और सप्तम में राहु का निवास होगा वह भी धन और कुटुम्ब की राशि वृष में। सप्तम राहु का सीधा असर जातक के तीसरे भाव में और उस भाव मे विराजमान ग्रहों की शक्ति को अपने अन्दर अवशोषित करने के बाद राहु का उल्टा प्रभाव लगन के केतु पर आयेगा और उसके बाद राहु का प्रभाव जातक के ग्यारहवे भाव और उससे सम्बन्धित कारकों पर भी आयेगा,सबसे खतरनाक प्रभाव जातक के नवें भाव पर होगा जो राहु के कारण दिक्कत देने वाला माना जायेगा। सप्तम के राहु का असर जातक के तीसरे भाव मे जाने से पिता और पिता की कारक वस्तुओं में जायेगा जिससे जातक के लिये एक भ्रम की स्थिति पैदा हो जायेगी कि पिता के पास और पिता की जायदाद के कारण उसे कोई भविष्य में परेशानी नही होगी,लेकिन पिता अपने ही कारणो से परेशान होने वाला होगा,कारण पिता के अन्दर अपने ऊपर की आफ़ते भी कम दिक्कत देने वाली नही होंगी,सप्तम राहु अगर वृष राशि का है तो जातक की माता और ननिहाल खान्दान को आफ़ते देने के लिये भी काफ़ी है,माता पर आफ़तेओं का समय राहु का समय आते ही शुरु होने की बात भी कही जाती है या तो माता जातक के साथ सातवें साल के शुरु में ही परलोक सिधार जाती है या जातक के जीवन से दूर रहने के लिये वेवश हो जाती है। पिता के सामने केवल अस्पताली कारण ही सामने होते है और पिता का मन भी चलायमान होकर या तो वह दूसरी माता को सामने लाता है जिससे जातक और जातक के साथ उसके बडे भाई बहिन के लिये वह माता आफ़तों का कारक बनकर घर के सुख को दूर करने वाली होती है। अगर जातक के बडी बहिन होती है तो दूसरी माता को नही रहने देती है और बडी बहिन नही होती है तो जातक अपने पिता से दूर चला जाता है। सप्तम राहु पिता के भाव से दसवे भाव में होता है और पिता के लिये कार्य के लिये विदेश मे जाना पडता है,जातक का जन्म केतु के लगन में होने के कारण ननिहाल के अस्पताल में हुआ होता है,साथ ही बचपन की उम्र को नाना परिवार ही शुरु करता है। उम्र के साथ जातक के नाना परिवार का भी समाप्त होने का असर देखा गया है लेकिन जातक अगर नाना परिवार से दूरिया बना लेता है तो नाना परिवार का रहना माना भी जाता है। राहु को मंगल के द्वारा कन्ट्रोल किया जाता है अगर मंगल का सीधा प्रभाव राहु पर होता है तो जातक के जीवन को सही दिशा में ले जाया जा सकता है। अगर मंगल का असर किसी प्रकार से दूर है या गोचर से भी मंगल राहु को दिशा नही दे पाता है तो यह सप्तम का राहु बहुत ही खतरनाक हो जाता है साथ ही उन रिस्तों की तरफ़ ले जाता है जो रिस्ते हमेशा के लिये जातक को चिन्ता देने वाले होते है और जातक अपने ही परिवार को दूर करने के बाद भटकने के लिये अपनी स्थिति को बनाने को बेवश हो जाता है। धन की राशि में राहु के होने से जातक के लिये स्त्रियां केवल धन के लिये ही प्रीत बनाती है,अगर यही राहु मिथुन राशि का होता है तो जातक की हिम्मत की शैली से प्रभावित होकर स्त्रिया जातक के साथ चलने वाली होती है कर्क का राहु जातक के लिये स्त्रियों के प्रति भावनात्मक रूप से जुडने और दूर करने के लिये माना जाता है सिंह का राहु जातक के लिये राजनीतिक कारणो से भी और सरकारी ओहदे के लिये और प्रभाव के लिये भी माना जा सकता है,कन्या का राहु जातक के कार्य करने के कारण और जातक के द्वारा सेवा वाले भाव का सहारा लेकर लोग उसकी तरफ़ आकर्षित होते है,तुला राशि का राहु सीधा ही जातक के पूर्वजों की मर्यादा को जीवन साथी के द्वारा समाप्त करने के लिये माना जाता है,वृश्चिक का राहु जातक के पिता और पिता के कार्यों को बाधित करने के लिये माना जाता है,धनु का राहु जातक को आजीवन भटकाने और कानूनी पचडे में ले जाने के लिये भी माना जाता है।

4 टिप्‍पणियां:

  1. पंडित जी,
    नमस्कार, मेरी वृष लगन की कुंड़ली में राहु और मंगल सातवें स्थान पर है, इसका क्या फल होगा

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  2. मेरे वृश्चिक लग्न की कुंडली में राहु सातवें स्थान पर है कोई उपाय बताये

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  3. मेरी जन्म तिथि है 14/10/1983 प्रातः 10/30 पर

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