सोमवार, 30 मई 2011

राहु शनि का षडाष्टक

"राहू शनि का षडाष्टक बनता,लड़े विरोधी बाते सुनता,
अगर शनि मार्गी होवे राहू दुःख दे रात को रोवे"
राहू को आपस में लड़ाने वाला ग्रह कहा जाता है,दो लोगों को लड़ा कर यह दूर बैठ कर तमासा देखने का शौक़ीन होता है.अक्सर देखा होगा कि जब कभी खेल कूद होते है तो राहू मनोरंजन और शनि कार्य यानी मनोरंजन के कार्य लेकिन आपस में षडाष्टक बनाकर बैठे हो तो खेल खतरनाक हो जाते है,जैसे किसी एक व्यक्ति को भ्रम दे दिया कि अमुक व्यक्ति तुम्हे मारना चाहता है और तुम बचके रहना यह कार्य राहू कर जाता है,जिससे राहू ने कहा है वह भ्रम में चला जाता है और जिस व्यक्ति के लिए कहा है उससे हमेशा अपने को सतर्क रहकर चलने लगता है,जैसे ही कोई मौक़ा मिलता है अपने दुश्मन को समाप्त करने के लिए घात लगाकर हमला करता है,सामने वाले को पता भी नहीं होता है कि उसके द्वारा कोई गलती की गयी है लेकिन राहू अपनी खुंश निकालने के लिए ही उसे घात लगाकर मरवाने की कोशिश करता है.जब वह मारा जाता है तो राहू मरने वाले और मारने वाले को बता भी देता है कि मरने वाले को मारने वाले ने केवल कनफ्यूजन की बजह से मारा है,इसकी पुष्टि के लिए राहू केतु का सहारा लेता है और किसी प्रकार जासूसी मारने वाले और मरने वाले के प्रति कर देता है जिससे मरने वाला तो मर ही गया लेकिन क़ानून मारने वाले को भी मार देता है. लेकिन शनि के वक्री होने पर व्यक्ति के अन्दर बुद्धि से लड़ने का असर पैदा होता है वह जान से मारने की बात नहीं करता है बुद्धि से केवल जैसे ही राहू अपनी हरकत को करता है वह खुद राहू पर नजर रखना चालू कर देता है और राहू की गलती को पकड़ कर केतु की सहायता से राहू को प्रताणित कर देता है.जैसे राहू ने भ्रम दिया कि अमुक व्यक्ति को अमुक बीमारी है,और वह उस बीमारी से मर भी सकता है,वक्री शनि ने अपनी बुद्धि का सहारा लिया और केतु यानी बीमारी को परखने वाले साधनों का प्रयोग किया और परख लिया कि अमुक बीमारी है और अमुक दवाई से ठीक हो जायेगी,उसे साधन दे दिया भ्रम वाला राहू अपने ही कारण से मारा गया.इसी प्रकार से यह राहू ज्योतिष के रूप में भ्रम देने के लिए सामने आता है जैसे कोई पूंछता है कि वह अमुक समस्या से अमुक समय से परेशान है,वक्री शनि अपनी बुद्धि का सहारा लेकर और अपनी गणना को करने के बाद फ़ौरन उस समस्या का निराकरण करने के लिए सामने आता है,उस भ्रम को शांत करने के लिए कोई न कोई तत्व वाला उपाय देता है और भ्रम निकल जाता है अथवा समय का विधान और पीछे की काल गणना करने के बाद पूंछने वाले को पीछे की बाते बता कर आगे का हाल बता देता है सामने वाले का भ्रम निकल जाता है और राहू का अंत हो जाता है,उदाहरण के लिए एक फोन आता है कि अमुक समय में एक महिला की सोने की चैन खो गयी है,काल गणना की जाती है,राहू शुक्र पर हावी है,केतु सूर्य के साथ है,तीसरे भाव में केतु और सूर्य की युति मिलती है,यानी घटना घर के बाहर छोटी यात्रा में होती है,सवाल पूंछने वाले को जबाब दिया जाता है कि क्या घटना घर से बाहर किसी छोटी यात्रा में हुयी थी,सामने वाले का जबाब होता है,कि वह स्त्री उस समय किराए की टेक्सी में यात्रा कर रही थी,फिर सवाल करने वाले से पूंछा जाता है कि उस टेक्सी में कोई नीले रंग का पहिनावा पहिने व्यक्ति था,सामने वाला जबाब देता है कि वही टेक्सी वाला ही नीले रंग का कपड़ा पहिने था,राहू का प्रभाव मंगल पर भी है यानी नवे भाव का राहू लगन के मंगल पर भी दे रहा है,सवाल को पूंछने वाले से कहा जाता है कि रास्ते में कही खाने पीने वाले स्थान पर रुका गया था,सामने वाला जबाब देता है कि हाँ एक जगह पर चाय पकौड़ी खाने पीने के लिए रुका गया था,दूसरे लगन से दूसरे भाव में चन्द्रमा के होने पर पूंछा जाता है कि पानी के लिए कोई बोतल आदि खरीदी गयी थी,जबाब मिलता है कि खरीदी गयी थी,इतना कथन सुनने के बाद पूंछने वाले को बताने वाले पर भरोसा हो जाता है कि वह सब कुछ सही सही बता रहा है,अब चौथे भाव में विराजमान वक्री शनि अपनी युति धन भाव में विराजमान चन्द्रमा पर देता है,यानी बताने वाले के दिमाग में लोभ धन के लिए पैदा होता है,वह पूंछने वाले से कहता है कि अगर खर्चा किया जाए तो चैन का पता बताया जा सकता है,पूंछने वाले के दिमाग में भी चैन के प्रति लोभ तो है ही,कि वह उसके पास से चली गयी है,उसे अगर कुछ खर्च करने के बाद मिल जाती है तो उसे कोई हर्ज नहीं है,पूंछने वाले और बताने वाले के बीच में सौदा तय होता है और बताने वाला सप्तम गुरु का सहारा लेकर कह देता है कि चैन उसी टेक्सी के अन्दर गिरी है,टेक्सी वाले से बात की जाती है,वह पहले तो टेक्सी को देखने की बात करता है और थोड़ी देर में पता लग जाता है कि सीट के नीचे वह चैन पडी मिल गयी है,इस तरह से एक ज्योतिषी अपनी बुद्धि का सहारा लेकर और वक्री शनि की ताकत से राहू का प्रभाव तोड़ देता है.वही शनि अगर मार्गी होता तो ज्योतिषी को भी राहू पछाड़ देता और ज्योतिषी उसी मंगल के लिए कहता कि जाकर पुलिस में रिपोर्ट करवाओ,अथवा पूंछने वाले को राहू शुक्र का उलटा अर्थ दे सकता था कि जिस स्त्री की चैन गयी है वह नवे भाव के राहू शुक्र यानी हवाई यात्रा,तीसरे भाव का केतु सूर्य यानी यात्रा के पहले की जाने वाली चैकिंग में लगन के मंगल से शासित चौथा मार्गी शनि किसी अवैध्य सामान के कारण परेशान हुआ.

1 टिप्पणी:

  1. कर्क में 2019 में ष डा ष्टक योग कब ?
    निदान संभव है, क्या...?
    मार्गदर्शन का अनुरोध

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