शनिवार, 19 मार्च 2011

पहला राहु आंचल की छाया

हर मनुष्य के लिये राहु कितना फ़लदायी है यह अन्दाज तभी लगाया जा सकता है जब बच्चा अपनी माता की गोद में आराम से आंचल की छाया में माता के वातसल्य को प्राप्त कर रहा होता है। माता उसके बालों को सहलाती है,किसी प्रकार के कष्ट के समय उसे पुचकारती है और जब कोई कष्ट असहनीय होता है तो माता बच्चे के साथ अपनी आंसुओं की लडी को भी बहाती है। उसे अपनी भूख प्यास की तकलीफ़ नही होती है वह अपनी पीडा को भूल जाती है लेकिन अपने बच्चे के लिये कोई भी तकलीफ़ सहन करने के लिये तैयार होती है। बच्चे को भी किसी प्रकार की पीडा या भय के सताने पर उसे लाखों लोगों के होने पर भी केवल अपनी माता की छवि ही याद रहती है वह अपनी माता को अपनी अबोध चिल्लाहट से कातर स्वर में रोने से बुलाने में सक्षम होती है। माता भले ही कमजोर है माता भले ही उसे दुख से दूर नही कर सकती है लेकिन फ़िर भी माता पर बच्चे को पूरा भरोसा होता है। माता उसके लिये सर्दी में अपने आंचल के अलावा अपने सीने से लगाकर सोती है गर्मी के दिनो में माता उसे अपने आंचल की हवा से ठंडक देने की कोशिश करती है,बरसात के समय में अपने सीने में छुपाकर खुद को भिगाकर बच्चे को बरसात के पानी से बचाती है।
यह भाव बिना राहु के नही प्राप्त नही हो सकता है,राहु का कार्य  भावानुसार अपनी अपनी योजना से फ़ल देने के लिये माना जाता है।राहु को धुन मे मस्त रहने वाला भी मानते है,जब व्यक्ति को अपनी धुन लगती है तो उसे दुनियादारी से कोई मतलब नही होता है,वह अपने में ही मस्त रहता है। माता बच्चे के पालन पोषण में बच्चे के भविष्य के प्रति ही धुन लगाये रहती है और जब तक वह अपने को सम्भालने के लिये काबिल नही हो जाता है माता को उसके प्रति चिन्ता करना जरूरी होता है। बच्चा अगर स्कूल गया है तो माता को उसके स्कूल से घर न आजाने और उसके द्वारा अपनी कुशल क्षेम को सही नही बता देने तक वह बैचेन रहती है,कितनी ही बडी सुविधा बच्चे को क्यों न दे दी जाये,माता बच्चे को अपनी आंखो से नही देख ले और अपने मन से समझ नही ले तब तक उसे चैन नही आता है। जो लोग अपने बच्चे को होस्टल आदि में शुरु में ही शिक्षा आदि के लिये डाल देते है उनके घर में एक अजीब बेचैनी हमेशा बनी रहती है,अक्सर इसी प्रकार के परिवारों में क्लेश होता ही रहता है,पति के ऊपर पत्नी का हावी होना भी इसी तरह के कारणों में माना जाता है।

राहु को छुपी शक्ति के मामले में जाना जाता है,राहु अपने प्रभाव से जातक के जीवन में उन शक्तियों को भर देता है जिनकी कभी आशा नही की जा सकती है। अक्सर बच्चे के कष्ट के समय माता के अंग फ़डकने की बात भी कही जाती है,माता को बच्चे के कष्ट का आभास पहले ही हो जाता है या बच्चा कहीं दूर होता है और किसी कष्ट में होता है तो माता को बेचैनी हो जाती है। राहु सूर्य के साथ मिलकर पिता या पुत्र की औकात को असीमित विस्तार की तरफ़ बढाने के लिये माना जाता है,राहु के द्वारा चन्द्रमा का साथ होने पर माता को चिन्ता में जातक की प्रोग्रेस के लिये माना जाता है,राहु का मंगल के साथ मिलकर खून के अन्दर प्रेसर बनना माना जाता है,राहु का बुध के साथ मिलने से विस्तार का अन्त नही होता है राहु का गुरु के साथ मिलने से या तो ज्ञान की सीमा अनन्त हो जाती है या जातक को इतना नीचे गिरा देता है कि जातक की शक्ल को लोग नही देख सकते है,राहु का शुक्र के साथ मिलान होने से जातक के अन्दर इतनी कामुकता का उदय होना शुरु हो जाता है कि उसे सभी जवान और खूबशूरत दिखाई देने लगते है,शनि के साथ राहु मिलता है तो उन कार्यो को जातक के लिये देता है जिनसे साधारण आदमी अक्सर दूर रहने के लिये माना जाता है।

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