जातक की माता के बाद जातक का पाला अपने कुटुम्ब से पडता है,जातक को अमुक खानदान अमुक परिवार अमुक गरीब अमुक अमीर का पुत्र समझ कर लोग उसके लिये अपनी अपनी बातें करते है। कुन्डली के अनुसार राहु जितना बलवान होता है उतना ही बल जातक को राहु देता है,राहु अगर खराब राशि में है तो खराब तरह की और अच्छी राशि में है तो अच्छी तरह की प्रसिद्धि देने के लिये अपना फ़ल प्रदान करता है। अगर दूसरे भाव में वृश्चिक राशि है और राहु पर नीच का मंगल अपना असर दे रहा है तो जातक को कसाई के काम करने जरूरी हो जायेंगे उसके कुटुम्ब को कसाई की श्रेणी में लाना कोई अतिश्योक्ति नही होगी। जरूरी नही है कि वह किसी को कसाई की तरह से ही काटे,वह अपने अनुसार धन से कपट से डकैती से किसी कार्य को जटिल बनाकर काटने से बाज नही आयेगा।
वह या तो माया का पर्दा सबकी आंखों पर डालकर अपने कामो को करेगा या फ़िर अपने कुटुम्ब का बल लेकर अपने कार्यों को करेगा। उसे संगठित होने की अभूतपूर्व क्षमता का कारण प्रस्तुत करना आता होगा। वह अपना कार्य अपनी आवश्यकता की पूर्ति अपने अनुसार ही माया या अन्य प्रकार के पारिवारिक बल लेकर कर ही लेगा। दूसरे राहु के लिये यह भी माना जाता है कि या तो जातक अपने धन और परिवार का बल लेकर चलेगा साथ ही राहु की तीसरी नजर चौथे भाव पर होने से वह अपने मन के अन्दर किसी के प्रति भी विश्वास लेकर नही चलेगा यानी सभी पर अपनी आशंका को व्यक्त करेगा उसे अपने दिमाग के अनुसार ही चलना आता होगा इसके बाद पन्चम द्रिष्टि छठे भाव मे होने से वह अपने अनुसार चोरी से छलकपट से और गुप्त नीति से अपने कार्य को पलक झपकते ही पूरा करेगा,सप्तम नजर अष्टम द्रिष्टि पर होने से उसके अन्दर जादुई शक्तियों का बोलबाला हो जायेगा वह अपने को तंत्र मंत्र या अजीब गरीब विद्याओं से पूर्ण कर लेगा अथवा वह अपने अनुसार अपने आसपास के माहौल में अपने जानकार लोगों में इतनी दहशत फ़ैला कर रखेगा कि लोग उसके नाम से ही कांपने लगेंगे,अथवा वह अपनी नीतियों को अपने माया वाले जाल से पूरा करने की हिम्मत रखने के लिये माना जायेगा। राहु की नवम नजर कार्य भाव पर होने से जातक कभी तो भूत की तरह से काम करता हुआ नजर आयेगा या फ़िर बिलकुल आलसी होकर एक कोने में पडा हुआ नजर आयेगा,वह जन्म लेने के बाद से ही अपने पिता के लिये एक अभिशाप बनकर आयेगा और पिता या तो आफ़तों में जूझ रहे होंगे या फ़िर जातक के बचपन में ही नकारा होकर पडे रह गये होंगे। दूसरा राहु कुटुम्ब की सहायतायें भी देने के लिये माना जाता है चाहे कुटुम्ब से जातक कितनी ही दुश्मनी पाल कर बैठ जाये लेकिन जैसे ही जातक पर कोई मुशीबत आयेगी वह राहु अपने अनुसार सभी को सहायता के लिये सामने लाकर खडा कर देगा।
वह या तो माया का पर्दा सबकी आंखों पर डालकर अपने कामो को करेगा या फ़िर अपने कुटुम्ब का बल लेकर अपने कार्यों को करेगा। उसे संगठित होने की अभूतपूर्व क्षमता का कारण प्रस्तुत करना आता होगा। वह अपना कार्य अपनी आवश्यकता की पूर्ति अपने अनुसार ही माया या अन्य प्रकार के पारिवारिक बल लेकर कर ही लेगा। दूसरे राहु के लिये यह भी माना जाता है कि या तो जातक अपने धन और परिवार का बल लेकर चलेगा साथ ही राहु की तीसरी नजर चौथे भाव पर होने से वह अपने मन के अन्दर किसी के प्रति भी विश्वास लेकर नही चलेगा यानी सभी पर अपनी आशंका को व्यक्त करेगा उसे अपने दिमाग के अनुसार ही चलना आता होगा इसके बाद पन्चम द्रिष्टि छठे भाव मे होने से वह अपने अनुसार चोरी से छलकपट से और गुप्त नीति से अपने कार्य को पलक झपकते ही पूरा करेगा,सप्तम नजर अष्टम द्रिष्टि पर होने से उसके अन्दर जादुई शक्तियों का बोलबाला हो जायेगा वह अपने को तंत्र मंत्र या अजीब गरीब विद्याओं से पूर्ण कर लेगा अथवा वह अपने अनुसार अपने आसपास के माहौल में अपने जानकार लोगों में इतनी दहशत फ़ैला कर रखेगा कि लोग उसके नाम से ही कांपने लगेंगे,अथवा वह अपनी नीतियों को अपने माया वाले जाल से पूरा करने की हिम्मत रखने के लिये माना जायेगा। राहु की नवम नजर कार्य भाव पर होने से जातक कभी तो भूत की तरह से काम करता हुआ नजर आयेगा या फ़िर बिलकुल आलसी होकर एक कोने में पडा हुआ नजर आयेगा,वह जन्म लेने के बाद से ही अपने पिता के लिये एक अभिशाप बनकर आयेगा और पिता या तो आफ़तों में जूझ रहे होंगे या फ़िर जातक के बचपन में ही नकारा होकर पडे रह गये होंगे। दूसरा राहु कुटुम्ब की सहायतायें भी देने के लिये माना जाता है चाहे कुटुम्ब से जातक कितनी ही दुश्मनी पाल कर बैठ जाये लेकिन जैसे ही जातक पर कोई मुशीबत आयेगी वह राहु अपने अनुसार सभी को सहायता के लिये सामने लाकर खडा कर देगा।

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